
यह खबर भारतीय समुद्री व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इन प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा।
- कामराजर पोर्ट: जल्द ही एक व्यापक परियोजना लागू करेगा, जो इसे विशाल केप-साइज़ जहाजों को संभालने में सक्षम बनाएगी। कैपिटल ड्रेजिंग फेज VI परियोजना बंदरगाह के ड्राफ्ट को 16 मीटर से बढ़ाकर 18 मीटर कर देगी। केप-साइज़ जहाजों को 18 मीटर के गहरे ड्राफ्ट की ज़रूरत होती है और उनकी क्षमता लगभग 1.7 लाख टन होती है.
- पारादीप पोर्ट: आंतरिक बंदरगाह में केप-साइज़ जहाजों को संभालने के लिए डीप ड्राफ्ट कोयला आयात बर्थ प्रदान करने की योजना है. कैबिनेट ने पारादीप बंदरगाह में केप-साइज़ जहाजों के आवागमन के लिए सार्वजानिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) मोड के तहत निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) के आधार पर पश्चिमी गोदी के विकास समेत आंतरिक बंदरगाह से जुड़ी सुविधाओं को मजबूत और उन्नत बनाने को मंजूरी दी है. PPA 16.5 मीटर के अधिकतम ड्राफ्ट के साथ 1,55,000 मीट्रिक टन के डीडब्ल्यूटी के केप-साइज़ जहाजों को संभालने में सक्षम है.
- दीनदयाल पोर्ट: यह भारत का 12वां प्रमुख बंदरगाह है. यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है जो केप-साइज़ जहाजों को समायोजित करने की दिशा में कार्य कर रहा है.
इस विकास से निम्नलिखित फायदे होंगे:
- व्यापार को बढ़ावा: बड़े जहाजों को समायोजित करने से कार्गो हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे भारत के निर्यात और आयात को बढ़ावा मिलेगा.
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: भारतीय बंदरगाह अन्य अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे, जो वर्तमान में केप-साइज़ जहाजों को संभालते हैं.
- आर्थिक विकास: बंदरगाह गतिविधियों में वृद्धि से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
यह खबर दर्शाती है कि भारत अपने समुद्री बुनियादी ढांचे को लगातार उन्नत कर रहा है ताकि देश की व्यापारिक क्षमता को बढ़ाया जा सके और आर्थिक विकास को गति मिल सके।