ब्रेकिंग न्यूज़: Vi के लिए ‘नई सुबह’! ☀️
वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाये के मामले में केंद्र सरकार को पुनर्विचार की खुली छूट दे दी है। यह फैसला कंपनी के अस्तित्व को बनाए रखने की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

खबर सुनते ही वोडाफोन आइडिया के शेयर में 13% तक का ज़बरदस्त उछाल आया, जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
AGR मामला: एक नज़र में
AGR क्या है?
AGR (Adjusted Gross Revenue) वह राजस्व है, जिसके आधार पर टेलीकॉम कंपनियाँ सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज का भुगतान करती हैं। विवाद तब शुरू हुआ जब दूरसंचार विभाग (DoT) ने AGR की परिभाषा में गैर-दूरसंचार आय (जैसे संपत्ति की बिक्री, ब्याज आदि) को भी शामिल कर दिया, जिससे कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ आ गया।
AGR विवाद का घटनाक्रम
- अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने DoT की AGR की परिभाषा को सही ठहराया, जिससे Vi (और अन्य कंपनियों) पर अरबों रुपये की देनदारी बन गई।
- सितंबर 2020: कोर्ट ने कंपनियों को 10 साल में बकाया चुकाने की अनुमति दी।
- 2021: सरकार ने नियमों में बदलाव किया और गैर-दूरसंचार आय को AGR से बाहर कर दिया, लेकिन यह फैसला पिछली देनदारियों पर लागू नहीं हुआ।
- हालिया याचिका: Vi ने DoT द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 तक के लिए माँगे गए लगभग ₹5,606 करोड़ के अतिरिक्त AGR बकाये को चुनौती दी। कंपनी का तर्क था कि यह माँग पहले ही कोर्ट द्वारा तय की गई देनदारियों के विपरीत है।
क्यों बदला कोर्ट का रुख? (The Policy Window)
यह फैसला कोर्ट के पिछले कड़े रुख से बिल्कुल अलग है। इस बदलाव के पीछे तीन मुख्य कारण हैं:
| मुख्य कारण | महत्व |
| 49% सरकारी हिस्सेदारी | AGR देनदारियों के बदले इक्विटी लेने के बाद, केंद्र सरकार अब कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक है। यानी, कंपनी को राहत देना अब सीधे-सीधे सरकारी हित से जुड़ गया है। |
| 20 करोड़ ग्राहकों का हित | कोर्ट ने माना कि कंपनी का बंद होना 20 करोड़ उपभोक्ताओं को सीधे प्रभावित करेगा और बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए Vi का बने रहना ज़रूरी है। |
| नीतिगत अधिकार क्षेत्र | सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि AGR का पुनर्मूल्यांकन और समाधान एक ‘नीतिगत’ मामला है, और सरकार को जनहित में इस पर पुनर्विचार करने से रोका नहीं जा सकता। |
क्या था Vi का नया ‘चैलेंज’?
Vi ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए माँगे गए ₹5,606 करोड़ के अतिरिक्त AGR बकाये को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनी का तर्क था कि यह मांग पहले से तय की गई देनदारियों का दोहराव है और इसमें कई लिपिकीय त्रुटियाँ (Clerical Errors) हैं।
अब आगे क्या? Vi के लिए खुले ‘राहत के रास्ते’
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब गेंद पूरी तरह केंद्र सरकार के पाले में है। सरकार के पास अब Vi को बचाने के लिए नीतिगत स्तर पर कई विकल्प खुले हैं:
- बकाया का पुनर्मूल्यांकन: अतिरिक्त AGR माँगों की व्यापक समीक्षा करना और सही देनदारी तय करना।
- मोरेटोरियम विस्तार: 31 मार्च 2026 को खत्म हो रहे भुगतान मोरेटोरियम (स्थगन) को आगे बढ़ाना (संभवतः 6 साल या उससे अधिक)।
- ब्याज और जुर्माना माफी: कंपनी के भारी-भरकम AGR बकाये पर लगने वाले ब्याज और जुर्माने को पूरी तरह या आंशिक रूप से माफ करने पर विचार करना।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस राहत के बाद कंपनी को न सिर्फ अपने कैश फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि वह 5G सेवाओं के विस्तार और नए निवेश (Fresh Investment) को आकर्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर पाएगी।
Vi के लिए यह फैसला सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं, बल्कि संकट से उबरने की दिशा में एक ‘सुनहरा मौका’ है!
इस खबर के बाद वोडाफोन आइडिया का शेयर ₹10.57 के 52-वीक हाई पर पहुंच गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार परिस्थितियों में आए बदलाव को देखते हुए इस मुद्दे पर गौर करने को तैयार है। इस फैसले से Vi को बकाया पुनर्मूल्यांकन या भुगतान में राहत मिलने का रास्ता खुल गया है, जो कंपनी के लिए एक बड़ा संजीवनी साबित हो सकता है!
इस खबर से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए, देखें: … Vodafone Idea को मिली राहत! AGR केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला यह वीडियो वोडाफोन आइडिया के AGR मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और उसके बाद स्टॉक में आई तेज़ी को हिंदी में समझाता है।
Vodafone Idea को मिली राहत! AGR केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – YouTube
