नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा के ‘सोना वैश्विक अनिश्चितता का नया बैरोमीटर है’ वाले बयान ने निवेशकों और बाजार विश्लेषकों के बीच हलचल मचा दी है। उन्होंने सिर्फ एक बदलाव की ओर इशारा नहीं किया, बल्कि यह समझाया कि क्यों अब कच्चे तेल की जगह यह पीली धातु दुनिया के जोखिम का पैमाना बन गई है।

क्रूड क्यों हुआ ‘फेल’? RBI गवर्नर ने बताई वजह
गवर्नर मल्होत्रा ने ‘कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025’ में अपने संबोधन में इस बड़े बदलाव का गहरा विश्लेषण किया। उन्होंने कहा:
“पिछले दशकों में, भू-राजनीतिक तनाव होते ही तेल की कीमतें आसमान छूने लगती थीं। लेकिन अब, इतने सारे वैश्विक संघर्षों के बावजूद, तेल की कीमतें सीमित दायरे में हैं।”
इसकी वजह? मल्होत्रा के अनुसार, इसकी वजह है “वैश्विक जीडीपी में तेल की घटती अहमियत” (Decline in Oil Intensity in GDP)। यानी, अब दुनिया की अर्थव्यवस्था पहले जितनी तेल पर निर्भर नहीं रह गई है, जिससे भू-राजनीतिक झटके तेल की कीमतों पर उतना असर नहीं डाल रहे हैं।
सोना ही क्यों बना ‘सेफ हेवन’ का किंग?
जहां क्रूड ऑयल का असर कम हुआ है, वहीं सोना एक ‘सुरक्षित ठिकाना’ (Safe Haven Asset) के रूप में अपनी भूमिका को लगातार मजबूत कर रहा है।
- रिकॉर्ड तोड़ उछाल: गवर्नर के बयान के दिन ही, स्पॉट गोल्ड 3,867 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया और लगातार सातवें हफ्ते बढ़त की ओर रहा। एक दिन पहले ही यह 3,896.9 डॉलर प्रति औंस के अपने ऑल-टाइम हाई को छूकर आया था।
- केन्द्रीय बैंकों की खरीद: वैश्विक अनिश्चितता के चलते दुनिया भर के केन्द्रीय बैंक, जिनमें आरबीआई भी शामिल है, सोने का रिकॉर्ड स्टॉक जमा कर रहे हैं। यह संस्थागत खरीद इस बात का प्रमाण है कि सोना अब सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण रणनीतिक आरक्षित संपत्ति (Strategic Reserve Asset) बन गया है।
सोना क्यों बना नया इंडिकेटर?
- गवर्नर ने स्पष्ट किया कि तेल की जगह अब सोना वैश्विक अनिश्चितताओं को दर्शाने वाला संकेत बन गया है। उन्होंने कहा, “शायद अब सोने की कीमतें उसी तरह की चाल दिखा रही हैं, जैसी पहले तेल दिखाया करता था, और यह वैश्विक अनिश्चितताओं का एक बैरोमीटर बन रहा है।”
शेयर बाजार के लिए भी चेतावनी
- सोने को लेकर यह बड़ा बयान ऐसे समय आया है, जब सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। इसके साथ ही, मल्होत्रा ने वैश्विक शेयर बाजारों को लेकर भी निवेशकों को सतर्क किया। उन्होंने कहा कि इक्विटी बाजार “थोड़े आत्मसंतुष्ट” दिख रहे हैं और जल्द ही एक ‘करेक्शन’ (गिरावट) आ सकता है।
- निवेशकों के लिए संदेश:
- आरबीआई गवर्नर का यह बयान संकेत देता है कि निवेशकों को अब सिर्फ कच्चे तेल पर ही नहीं, बल्कि सोने की कीमतों पर भी बारीकी से नज़र रखनी होगी। सोने का उछाल दुनिया भर में बढ़ते जोखिम और अनिश्चितता के स्तर का साफ संकेत है।
मुख्य बातें:
- नया बैरोमीटर: सोने की कीमतें अब वैश्विक अनिश्चितता का नया पैमाना।
- पुरानी भूमिका: पहले यह भूमिका कच्चा तेल निभाता था।
- आरबीआई गवर्नर: संजय मल्होत्रा ने कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में दिया बयान।
- निवेशकों के लिए चेतावनी: शेयर बाजार में ‘करेक्शन’ की आशंका
दुनिया की दोहरी चिंताएं: वित्तीय तनाव और व्यापार युद्ध
गवर्नर मल्होत्रा ने सिर्फ सोने की बात नहीं की, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर दो बड़ी चेतावनियाँ भी दीं:
- वित्तीय तनाव (Fiscal Stress): उन्होंने कहा कि “वित्तीय रूप से आज लगभग हर देश काफी दबाव में है।” उनका इशारा विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर बढ़ते सार्वजनिक कर्ज की ओर था, जिसे सामान्य करना मुश्किल दिख रहा है।
- शेयर बाजार में जोखिम: मल्होत्रा ने निवेशकों को सावधान करते हुए कहा कि वैश्विक इक्विटी बाजार, खासकर टेक स्टॉक, “थोड़े आत्मसंतुष्ट” लग रहे हैं और आने वाले समय में बड़ी गिरावट (Correction) आ सकती है।
निष्कर्ष: आरबीआई गवर्नर का यह स्पष्ट विश्लेषण बताता है कि आने वाले समय में वैश्विक जोखिम को मापने के लिए तेल के टैंकरों पर नहीं, बल्कि सोने की चमक पर नजर रखनी होगी। सोना महंगा हो रहा है, मतलब दुनिया की अनिश्चितता गहरी हो रही है।
RBI ने Gold की खरीदारी में नया Record बनाया, जानिए क्यों बढ़ रही है सोने की कीमतें: RBI ने गोल्ड की खरीदारी में नया रिकॉर्ड बनाया। यह वीडियो RBI द्वारा सोने की रिकॉर्ड खरीद पर प्रकाश डालता है, जो गवर्नर के बयान की पुष्टि करता है कि सोना अब वैश्विक अनिश्चितता का एक प्रमुख संकेतक है।
RBI ने Gold की खरीदारी में नया Record बनाया, जानिए क्यों बढ़ रही है सोने की कीमतें – YouTube
