🚨 CBDT का बड़ा ऐलान: ITR फाइलिंग की अंतिम तारीख 10 दिसंबर! लेट फीस से बचने का आखिरी मौका
नई दिल्ली: (बिजनेस डेस्क) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने टैक्स ऑडिट वाले करदाताओं (Companies and Audited Taxpayers) को एक बार फिर बड़ी राहत देते हुए ITR दाखिल करने की अंतिम समय सीमा 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दी है।
यह विस्तार वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए लागू होगा। इस निर्णय से खासकर उन कंपनियों, फर्मों और बड़े कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है, जिनके लिए अपने खातों का ऑडिट कराना अनिवार्य होता है। टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, भारी बारिश और बाढ़ के कारण कई राज्यों में अकाउंटिंग और ऑडिट के काम में हुई देरी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
📅 तुरंत नोट करें नई और पुरानी तारीखें (AY 2025-26):
विवरण
पुरानी अंतिम तारीख
नई अंतिम तारीख (विस्तारित)
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तारीख
31 अक्टूबर 2025
10 नवंबर 2025
ITR फाइलिंग की अंतिम तारीख (ऑडिट केस)
31 अक्टूबर 2025
10 दिसंबर 2025
🛑 लेट फीस से बचने का आखिरी मौका!
जानकारों का कहना है कि 10 दिसंबर तक ITR फाइल करने से कंपनियों और ऑडिटेड टैक्सपेयर्स को धारा 234F के तहत लगने वाले भारी विलंब शुल्क (Late Fees) से बचने का मौका मिलेगा।
विलंब शुल्क (Late Fees) का नियम: अगर कोई टैक्स ऑडिट वाला करदाता 10 दिसंबर 2025 के बाद और 31 दिसंबर 2025 से पहले अपना रिटर्न दाखिल करता है, तो उसे ₹5,000 तक का जुर्माना (धारा 234F के तहत) देना पड़ सकता है।
ब्याज का खतरा: इसके अलावा, अगर करदाता पर कोई टैक्स बकाया है, तो उसे मूल नियत तारीख से रिटर्न दाखिल करने की तारीख तक 1% प्रति माह की दर से ब्याज (Interest) भी देना पड़ सकता है।
CBDT ने स्पष्ट किया है कि यह विस्तार सिर्फ ITR दाखिल करने के लिए है। विलंबित रिटर्न (Belated Return) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 ही रहेगी, लेकिन इस पर विलंब शुल्क और ब्याज लगेगा।
यह विस्तार लाखों टैक्सपेयर्स और टैक्स प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ी राहत है, जिससे उन्हें अपने रिटर्न को सटीकता से दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है।
💰 ITR देर से फाइल करने पर कंपनियों पर अधिकतम जुर्माना (धारा 234F)
ऑडिट वाले करदाताओं (कंपनियों सहित) के लिए ITR दाखिल करने की विस्तारित नियत तारीख (Extended Due Date) 10 दिसंबर 2025 है। इसके बाद रिटर्न दाखिल करने पर निम्नलिखित जुर्माना लागू होता है:
ITR दाखिल करने की अवधि (FY 2024-25, AY 2025-26 के लिए)
विलंब शुल्क (Late Fee) – धारा 234F
नियुक्ति तिथि (10 दिसंबर 2025) के बाद, लेकिन 31 दिसंबर 2025 से पहले
₹5,000
31 दिसंबर 2025 (बिलेटेड रिटर्न की अंतिम तिथि) के बाद
₹10,000
कंपनियों के लिए अधिकतम जुर्माना:
यदि कोई कंपनी ऑडिट के बावजूद अपना रिटर्न 31 दिसंबर 2025 के बाद दाखिल करती है, तो उस पर ₹10,000 का फ्लैट जुर्माना लग सकता है।
⚠️ केवल जुर्माना ही नहीं, ये “अन्य” गंभीर परिणाम भी होते हैं:
धारा 234F के तहत लगाए गए जुर्माने के अलावा, ITR देर से फाइल करने पर कंपनियों को कई अन्य गंभीर वित्तीय और कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है:
ब्याज का भुगतान (धारा 234A): यदि कंपनी पर कोई कर बकाया (Tax Payable) है, तो उसे नियत तारीख (यानी 10 दिसंबर 2025) के बाद से रिटर्न दाखिल करने की तारीख तक 1% प्रति माह की दर से ब्याज देना पड़ता है।
हानियों को आगे न ले जा पाना (Loss Carry Forward): अगर कंपनी को किसी व्यवसाय/पेशे या पूंजीगत लाभ (Capital Gains) में नुकसान हुआ है, तो ITR समय पर दाखिल न करने पर वह इन नुकसानों को अगले वर्षों तक कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएगी, जिससे भविष्य में टैक्स लायबिलिटी बढ़ सकती है।
अभियोजन/जेल (Prosecution/Imprisonment): गंभीर मामलों में (जैसे बार-बार रिटर्न दाखिल न करना या बड़ी कर चोरी), आयकर अधिकारी अभियोजन (कानूनी कार्रवाई) शुरू कर सकते हैं, जिसमें 3 महीने से 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
टैक्स ऑडिट का पालन न करना (धारा 271B): यदि कंपनी आवश्यक होने पर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट समय पर फाइल नहीं करती है, तो टर्नओवर का 0.5% या ₹1,50,000, जो भी कम हो, उतना जुर्माना लग सकता है।
निष्कर्ष: कंपनियों के लिए ITR देर से दाखिल करने पर अधिकतम विलंब शुल्क (Late Fee) ₹10,000 है, लेकिन ब्याज, ऑडिट जुर्माना और कानूनी कार्रवाई जैसे अन्य परिणाम इससे कहीं अधिक महंगे और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए नियत तारीख तक ITR दाखिल करना अनिवार्य है।